Saturday, May 21, 2011

संघर्षों से डा.सिद्दीकी को मिली सफलता की नई राह

अमेरिका भारत को कृषि क्षेत्र में करेगा जरुरी सहयोग

उद्योग व कृषि में संतुलन बनाए रखने को जरुरी बताया

ओबामा प्रशासन के मुख्य कृर्षि वार्ताकार डा.इस्लाम ए सिद्दीकी से बातचीत।

                  (पंतनगर से जहांगीर राजू)
-डा.इस्लाम ए सिद्दीकी।

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा प्रशासन में चीफ एग्रीकल्चर नेगोशिएटर के पद पर तैनात डा.इस्लाम ए सिद्दीकी ने डा. सिद्दीकी ने बताया कि हल्द्वानी के एक गरीब परिवार से अमेरिकी प्रशासन का हिस्सा बनने तक का उनका सफर काफी संषर्घपूर्ण रहा। उन्होंने कहा कि संघर्षों के बदौलत ही उन्होंने सफलता की नईं कहानी लिखी है।
पंतनगर विश्विद्यालय के दीक्षांत समारोह में डाक्टर आफ साइंस की मानद उपाधि से सम्मानित हुए डा. सिद्दीकी ने कंहा कि पंतनगर पहुंचकर उन्हें 5१ साल पहले की यादों को ताजा करने की मौका मिला है। उन्होंने बताया कि उनके संघर्ष की कहानी में पंतनगर विश्विद्यालय के दो प्रोफेसर डा.वाईएल नैने व डा. विलियम लैम्बर्ट का अह्म योगदान रहा। उनके सहयोग से ही अपने गरीब पिता की दुकान में काम करने वाले युवक इस्लाम हो नई राह मिली। इंटरमीडिएट की परीक्षा करने के बाद उन्होंने पंतनगर विश्विद्यालय से बीएससी की पढ़ाई की। छोटे भाई रईस अहमद सिद्दीकी को प्रेरणा श्रोत मानने वाले डा.सिद्दीकी बताते हैं कि उनकी मदद से ही वह अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ा पाए। वर्ना जिस घर में पढऩे तक के लिए लाइट न हो वह बच्चा सडक़ की रोशनी में पढ़ाई कर अमेरिका तक का सफर कैसे तय कर पाता।
 डा. सिद्दीकी का कहना है कि यदि किसी व्यक्ति में लगन व कड़ी मेहनत करने का जज्बा हो तो वह किसी सफलता को हासिल कर सकता है। वह नई युवा पीढ़ी से आवाह्न करते हैं कि वह कड़ी मेहनत कर अपने सबसे ऊंचे गोल को प्राप्त करें। डा. सिद्दीकी ने बताया कि उन्होंने बताया कि तमाम अभावों के बावजूद समय रहते अपनी  पढ़ाई पूरी की। जिसकी बदौलत वह अमेरिकी प्रशासन का हिस्सा बने। वह कहते हैं कि वर्तमान पीढ़ी के पास तमाम संसाधन हैं, ऐसे में वह कड़ी मेहनत के जरिए सफलता हासिल कर सकते हैं।
 उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में कृषि कार्य काफी तकलीफदेह है। ऐसे में यहां के वैज्ञानिकों को चाहिए कि वह किसानों की परेशानियों को दूर करने लिए कार्य करें। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में गेहूं व धान के बजाए फ्रूट बैल्ट विकसित करने के क्षेत्र में कार्य किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत में कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति कम होना चिंता का विषय है। इस स्थिति में यहां किसानों को लैग्यूनिश फसलें या हरी खादों को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैविक खेती को बढ़ावा देकर भी कृषि भूमि की उर्वरा शाक्ति को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि देश के किसानों को आर्थिक रुप से समृद्ध बनाने के लिए उन्हें दलालों से मुक्त किया जाना जरुरी है। जिसके लिए किसानों को बाजार भावों की लगातार सूचना देने के लिए नए तंत्र को विकसित किया जाना चाहिए।
 उन्होंने कहा कि देश में लगातार कम हो रही कृषि भूमि चिंता का विषय है, ऐसे में हमारे लिए जरुरी है कि उद्योग व कृषि क्षेत्र में संतुलत बहुत जरुरी है। उन्होंने कहा कि यदि एसईजेड से कृषि भूमि समाप्त होती जाएगी तो एक दिन हमारी फूड सेक्योरिटी खतरे में पढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि कृषि भी अब एक उद्योग के रुप में स्थापित हो रहा है। ऐसे में कृषि बेस उद्योगों को बढ़ावा देकर कृषि के विकास में अहम योगदान दिया जा सकता है।
डा.सिद्दीकी ने कहा कि अमेरिकी प्रशासन कृषि के क्षेत्र में भारत को तमाम क्षेत्रों में सहयोग दे रहा है। उन्होंने बताया कि बुश प्रशासन के समय में भारत को क्लेमेट चौंज, कोल्ड स्टोरेज व मार्केटिंग इनर्फाेमेशन के क्षेत्र में सहयोग कर रहा है। इसी परंपरा को आगे बढऩे के लिए ओबामा प्रशासन भी कार्य कर रहा है।

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