Saturday, February 26, 2011

सम्मान और संरक्षण को तरसती यायावर प्रतिभाऐं

कालाढूंगी के जंगल में बौर नदी के किनारे डेरा जमाकर लकड़ी के बर्तन बना रहे हैं चुनेरे

चंदन बंगारी रामनगर
ठेकी, डोकला, माणा पहाड़ी जनजीवन के अभिन्न अंग हैं। लकड़ी से बने इन बर्तनों को पहाड़ के लोग गांवों में दूध, दही, घी रखने के लिए इस्तेमाल करते हैं। एक दशक से भी अधिक समय से पहाड़ों में इस्तेमाल होते आ रहे लकड़ी के बर्तनों को तैयार करने का तरीका भी बेहद अनूठा है। लकड़ी के बर्तन बनाने वाले हस्तशिल्पियों को चुनेर कहा जाता है। बदलती जीवनशैली और कुछ आधुनिकता की दौड़ में बढ़ते स्टील व अन्य धातुओं के बर्तनों के चलन ने चुनेरांे द्वारा लकड़ी के बनाये ठेकी, डोकड़ा, नैया, पाई को हाशिए पर ला दिया है। वहीं वन विभाग व सरकार की बेरूखी से परंपरागत हुनर अंतिम सांसे गिन रहा है।
कालाढूंगी के बौर नदी के किनारे इन दिनों चुनेरों का दल लकड़ी से तैयार बर्तनों को अंतिम रूप देने में जी-जान से जुटा हुआ है। हर साल नवंबर में बागेश्वर जिले के चचई गंाव से कई हुनरबंदों के दल क्षेत्र की नदियों के किनारे डेरे लगाते हैं। सर्दियों भर अपनी परंपरागत शैली में काष्ठ-कला को अंजाम देने के बाद यायावर दस्तकार मार्च में तैयार बर्तनों के साथ बाजार की तलाश में पहाड़ों की तरफ निकलना शुरू कर देते है। पहाड़ों में यह बर्तन सौ रूपये से लेकर एक हजार रूपए तक बिकते है। चुनेरों के बर्तन बनाने का ढंग आज के हुनरमंद कारीगरों को भी दंग कर सकता है। ना बिजली जाने का झंझट व ना मशीनी कल-पुर्जों की खट-पट, बस नदी की एक धारा से घूमते खराद पर लगे ‘साणे’ पर लोहे की ‘सांबी’ से ठोस लकड़ी को भीतर से कुरेदकर लोटा, गिलास, ठेकी, डोकला, माणा, हुड़का, बिंडा व दुमका आदि छोटे-बडे बर्तन तैयार होते हैं। सर्दियों के चार महीनें यह दस्तकार अपनी काष्ठ कला से ढेरों विविध प्रकार के बर्तन तैयार करते है।
पानी से चलने वाली खराद पर पुश्तैनी पेशे में लगे चुनरों को इसके लिए वन विभाग से बाकायदा सांदण की लकड़ी का परमिट मिलता है। दस्तकार तेजराम व पुष्करराम कहते हैं कि पुश्तैनी परंपरा से जुड़ा होने के कारण वह यह काम कर रहे है। लकड़ी के बढते दाम व लोगों का इन बर्तनों की जगह प्लास्टिक, चीनी मिटटी व स्टील के प्रति बढते रूझान ने ध्ंाधे को मंदा कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से सम्मान तो दूर कोई सहयोग तक नही मिलता है।



2 comments:

  1. मुझे एबर्तन लेने हैं कहाँ से मिलेंगे?
    Email karen is par yogabyvikram@hotmail.com

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  2. Hello
    We want to purchase vinda (a wooden pot to store curd and other milk products) so can you give me details regarding the product

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