Sunday, December 19, 2010

चांद-तारे देखो अब देवस्थल की पहाड़ियो से


एरीज ने की दूरबीन की स्थापना

देवस्थल पोस्ट की ओर से अद्वितीय कार्य के लिये वैज्ञानिको का आभार



130-cm telescope at Devasthal
नैनीताल जनपद के देवस्थल स्थान में एरीज (आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान) की 130-सेमी0 ब्यास की दूरबीन की स्थापना का प्रथम चरण सफलतापूर्वक सम्पन्न हो गया है । परियोजना प्रभारी एवं एरीज के वैज्ञानिक डा0 अमितेश ओमर ने बताया कि प्रथम चरण में प्राप्त परिणाम आशा के अनुरूप हैं । इस दूरबीन की स्थापना में वैज्ञानिक डा0 बृजेश कुमार, डा0 अमितेश ओमर, इंजीनियर श्री तरूण बांगिया, श्री जयश्रीकर पंत, श्री शोभित यादव, इयान हस, मार्क केली एवं रिचर्ड नील शामिल थे । दूरबीन से प्राप्त चित्रों से यह भी साबित हो गया है कि तारों के प्रेक्षण हेतु देवस्थल स्थान भारत में सर्वश्रेष्ठ होने के साथ विश्व की श्रेष्ठतम् जगहों में से एक है । इस दूरबीन की कोणीय भेदन क्षमता अपनी प्रारम्भिक अवस्था में ही इतनी अधिक है कि 200 किमी0 दूर स्थित एक कार या 9000 किमी0 दूरी में स्थित किसी भी शहर की बहुमंजली इमारत को यह दूरबीन आसानी से पहचान सकती है ।

Kritika Nakshtra picture taken from 130-cm telescope

मानव नेत्रों की तुलना में यह दूरबीन 60 लाख गुना कम रोशनी वाले तारों को देख सकती है ।
 इसकी क्षमता का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि 2500 किमी0 दूरी पर जल रही एक मोमबत्ती की रोशनी को यह दूरबीन एकत्रित कर उसे पहचान सकती है । डा0 ओमर के अनुसार किसी भी आप्टिकल दूरबीन के लिये उसके आकार से अधिक उसको स्थापित करने वाली जगह महत्वपूर्ण होती है । पृथ्वी के वातावरण में होने वाले वायुप्रवाह और हलचल के कारण सभी जगहों से खगोलीय पिण्डों की सटीक तस्वीर नहीं ली जा सकती  है । देवस्थल जगह की भौगोलिक संरचना ऐसी है कि यह वायुप्रवाह सपाट और हलचल रहित है ।
       Mrigshirsha Nakshtra picture
संस्थान के निदेशक प्रो0 राम सागर ने बताया कि देवलथल के इस विलक्षण गुण का अनुमान एरीज के वैज्ञानिकों ने अपने 10 वर्षों के अथक प्रयासों से पहले ही लगा लिया था । आज 130 सेमी0 दूरबीन से प्राप्त तस्वीरों से देवस्थल का यह भौगोलिक गुण प्रमाणित हो गया है ।
प्रो0 राम सागर ने देवलथल क्षेत्र में पड़ने वाली पंचायतों के ग्रामवासियों प्रतिनिधियों, एवं क्षेत्र के प्रशासनिक अधिकारियों से प्राप्त सहयोग के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आशा है कि भविश्य में भी देवलथल एवं नैनीताल जिले को अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर एक वैज्ञानिक पहचान देने में सभी का सहयोग प्राप्त होता रहेगा । एरीज के निदेशक ने यह भी बताया  कि अगले चरण में 3.6 मीटर दूरबीन की स्थापना का कार्य वर्ष  2012  में पूरा कर लिया जायेगा इस हेतु आजकल  एरीज में चल रही प्रोजेक्ट मैनेजमेन्ट बोर्ड  की बैठक में आगे की रणनीति का अध्ययन किया जा रहा है । एरीज के इंजीनियर तरूण बांगिया के अनुसार यह दूरबीन स्ट्रकचरल इंजीनियरिंग का एक अनूठा नमूना है जो कि तारों के अध्ययन के लिये अति उपयुक्त है ।
यह दूरबीन अत्याधुनिक तकनीक से बनी है जिसमें विमानन उद्योग से लेकर अति संवेदी अन्तरिक्षयानों के उपकरणों का भी प्रयोग हुआ है ।  यह दूरबीन अपने में आयी यांत्रिकी कमियों को स्वतः समझ कर सही करने की क्षमता भी रखती है । दूरबीन की घड़ियां एक सेकेण्ड के 1000वें हिस्से के बराबर सटीक काम करती है । इस दूरबीन का उपयोग सुदूर अन्तरिक्ष में स्थित आकाष गंगाओं एवं तारों के निर्माण प्रक्रिया को अच्छी तरह से समझने के लिये गिया जायेगा । समय-2 पर होने वाले आकाषीय पिण्डों के विनाष के कारणों का पता भी लगाया जा सकेगा । इस दूरबीन से ब्लैक होल के बारे में भी अधिक जानकारियां जुटाई जा सकेंगी । अगले महीने इस दूरबीन एवं इससे दिखने वाले खगोलीय पिण्डों का सजीव प्रसारण इन्टरनेट के माध्यम से बंगलौर के स्कूली बच्चों के लिये किया जायेगा । दूसरे चरण में नयी तकनीक के फास्ट कैमरों की मदद से दूरबीन की भेदन क्षमता को और बढ़ाया जायेगा । 


1 comment:

  1. इस ज्ञानवर्धक जानकारी के लिये बहुत-बहुत शुक्रिया..

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