Thursday, October 21, 2010

हिन्दी फीचर फिल्म "दायें या बायें" में नजर आयेंगे गिरदा

29 अक्टूबर को नैनीताल फिल्म महोत्सव में प्रदर्शित होगी फिल्म

नैनीताल की मूल निवासी बेला नेगी के निर्देशन में बनी इस फिल्म में अधिकांश किरदार उत्तराखण्ड के कलाकारों ने निभाये हैं.


                                                              (जहांगीर राजू, रुद्रपुर से)

फिल्म के मुख्य अभिनेता दीपक डोबरियाल के साथ स्व. गिरदा
  नैनीताल फिल्म महोत्सव की शुरुआत नैनीताल की मूल निवासी बेला  नेगी की हिन्दी फीचर फिल्म “दायें या बायें” से होगी. इस फिल्म में उत्तराखण्ड के मशहूर रंगकर्मी गिरीश तिवारी “गिरदा” ने भी महत्वपूर्ण रोल अदा किया है. वह इस फिल्म में शिक्षक की जिम्मेदाए भूमिका में नजर आयेंगे. इस फिल्म के माध्यम से पिछले दिनों हमारे बीच से जा चुके गिरदा की प्रतिभा को नये नजरिये से जानने का मौका मिल सकेगा. 29 अक्टूबर को नैनीताल में शुरु होने वाले फिल्म महोत्सव के साथ ही यह फिल्म मुम्बई, दिल्ली और बंगलुरु में रिलीज होने जा रही है. इस साल का नैनीताल फिल्म महोत्सव उत्तराखण्ड के प्रमुख संस्कृतिकर्मी गिरीश तिवारी “गिरदा” और फिल्म अभिनेता स्व. निर्मल पाण्डे को समर्पित किया गया है.
नैनीताल की मूल निवासी बेला नेगी की नई फिल्म “दायें या बायें” उत्तराखण्ड की पृष्टभूमि पर बनी अब तक की शायद सबसे चर्चित फिल्म है. किसी बड़ी स्टारकास्ट की अनुपस्थिति के बावजूद  यह फिल्म रिलीज होने से पहले ही चर्चित हो चुकी है. इसके कथानक और कलाकारों के बारे में जितना सुना गया है उससे यह अन्दाजा लगाया जा सकता है कि उत्तराखण्ड के एक छोटे से गांव के आम आदमी पर केन्द्रित यह फिल्म अब तक बालीवुड में बनी सफल आफबीट फिल्मों में अपना नाम जरूर दर्ज करायेगी.
फिल्म निर्देशक बेला नेगी के साथ दीपक डोबरियाल
एफ.टी.आई. पूना से प्रशिक्षित बेला नेगी के अनुसार इस पूरी फिल्म की शूटिंग उत्तराखण्ड के नैनीताल, अल्मोड़ा, मुन्सयारी, चौकोड़ी और बागेश्वर में की गई है. इस फिल्म की एक खास बात यह भी है कि 2-3 कलाकारों के अलावा सभी लोग स्थानीय रंगमंच के कलाकार हैं. फिल्म के मुख्य पात्र मजिला का रोल उत्तराखण्ड मूल के ही दीपक डोबरियाल ने निभाया है जिन्हें “ओमकारा” जैसी हिट फिल्म के लिये कई पुरस्कार मिल चुके हैं. उत्तराखण्ड में पलायन एक विकराल समस्या है. फिल्म का मुख्य पात्र भी गांव से पलायन कर शहर जाता है लेकिन जल्दी ही ऊब कर गांव में वापस आ जाता है. एक प्रतियोगिता में उसको एक कार मिलती है, लेकिन उसके बाद कई ऐसे घटनाक्रम होते हैं कि वो अपने ही गांव में सहजता से जीवन यापन नहीं कर पाता. इस तरह यह फिल्म  “माजिला” की जिन्दगी में Reverse Migration के बाद पैदा होने तमाम उतार-चढावों पर आधारित है. माजिला की जिन्दगी के दर्शन करते-करते इस फिल्म में दर्शकों को उत्तराखण्ड के ग्रामीण जीवन की दिनचर्या और जीवन संघर्ष की झलक भी मिलेगी.  
  दायें या बायें का ट्रेलर  आप यूट्यूब के इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं.

3 comments:

  1. पहाड़ों ..जंगल जमीन की आवाज कहीं तो नज़र आई....

    ReplyDelete
  2. Really it nice way,to turn our culture in different languages...to know people more about uttarakhand and also even we may know,how popular our culture in different part of country.how much like it as a heritage manners of village culture after releasing of audience feedback.

    ReplyDelete
  3. 25 अक्टूबर को "दायें या बायें" की निर्देशक बेला नेगी ने www.MeraPahadForum.com" पर एक लाइव चैट के दौरान फिल्म के बारे में कई सवालों के जवाब दिये. इस लिंक पर जाकर आप इस वार्तालाप को देख सकते हैं.
    http://www.merapahadforum.com/live-chat-with-celebrity/live-chat-with-bela-negi-ji-director-hindi-film'daayen-ya-baayen'-25-oct/

    ReplyDelete