Monday, September 6, 2010

उत्तराखंड में मारे गए सबसे अधिक गुलदार

राज्य में एक वर्ष में 29 गुलदार बने शिकार

टाइगर प्रोटेक्शन ईयर 2010 में सबसे अधिक बाघों के मारे जाने पर उठे सवाल
            (जहांगीर राजू, रुद्रपुर से)

वर्ष 2010 को भले ही टाइगर प्रोटेक्शन ईयर के रुप में मनाया जा रहा है। बावजूद इसके इस वर्ष में काफी संख्या में गुलदार के मारे जाने की घटनाएं हो रही है। स्थिति यह है कि टाइगर प्रोटेक्शन ईयर में उत्तराखंड में सबसे अधिक गुलदार व तेंदुए के मारे जाने के मामले सामने आए हैं। 
उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय वन एवं पयार्वरण मंत्रालय ने वर्ष 2010 को टाइगर प्रोटेक्शन ईयर के रुप में घोषित किया है। जिसके चलते देशभर में बाघों को बचाने के लिए मुहिम चली हुई है। देशभर में सेमिनार के माध्यम से लोगों को बाघों के संरक्षण के प्रति जागरुक किया जा रहा है। साथ ही बाघों की सुरक्षा के लिए तमाम नीतियां बनायी जा रही हैं। ऐेसे में देश में काफी संख्या में बाघों का मारा जाने से पूरी मुहिम का काफी धक्का लग रहा है। स्थिति यह है कि इस वर्ष देश में 240 गुलदार मारे हैं, जिसमें से 130 गुलदार को लोगों ने शिकार बनाया। इस दौरान मानव-पशु संघर्ष में 17, सडक़ दुर्घटनाओं मंे 19, वन विभाग द्वारा गोली मारने से 8, राहत कार्यों के दौरान  गुलदार मारे गए। साथ ही दो तेंदुओं को बड़े जानवरों ने मार डाला। सालभर में 58 गुलदार मारे हुए पाए गए।  
भारतीय वन्य जीव संरक्षण सोसायटी के खुलासे के मुताबिक उत्तराखंड में इस वर्ष सबसे अधिक बाघ मारे गए हैं। राज्य में इस वर्ष 29 गुलदार का शिकार हुआ। यहां चार बाघ मानव-पशु संघर्ष में मारे गए। इस साल राज्य में 15 गुलदार की खाल व हड्डी बरामद की गयी। उत्तराखंड की तरह महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश व कर्नाटक में भी गुलदारों के मारे जाने की घटना बढ़ी है। महाराष्ट्र में इस वर्ष 15 गुलदार शिकारियों का शिकार बने। उत्तर प्रदेश में 13 व कर्नाटक में 12 गुलदार का शिकार हुआ।  
उत्तराखंड के मुख्य वन संरक्षक परमजीत ङ्क्षसह के मुताबिक वर्ष 2007 में राज्य में 2300 गुलदार थे। इस साल बाघों की गणना के लिए रिपोर्ट तैयार की जा रही है। जिससे राज्य में गुलदार की सही संख्या का अंदाजा लगाया जा सकेगा।
कार्बेट टाइगर रिजर्व में रह चुके डा.पराग मधुकर धकाते बताते हैं इस वर्ष वन महकमे ने वन अपराधियों पर शिकंजा कसा है। जिसके चलते गुलदार के मारे जाने की बड़ी घटनाएं सामने नहीं आयी हैं। बावजूद इसके वन अपराधी कम नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा कि गुलदार का शिकार करने वाले सिंडिकेट को समाप्त करने के लिए देशव्यापी मुहिम चलाए जाने की जरुरत है।  







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